Municipal elections in Punjab: बागी उम्मीदवारों की जानकारी जुटाने में कांग्रेस को मुश्किलें
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Municipal elections in Punjab: पंजाब में चल रहे पांच नगर निगमों और 41 नगर परिषदों के चुनावों के दौरान, कांग्रेस पार्टी को टिकट न मिलने के कारण पार्टी के खिलाफ बगावत करने वाले उम्मीदवारों की जानकारी इकट्ठा करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया है। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) के सचिव आलोक शर्मा ने पंजाब कांग्रेस से ऐसे बागी उम्मीदवारों के नाम मांगे हैं।
जिला कांग्रेस की असहयोगपूर्ण भूमिका
हालांकि, जिला कांग्रेस इस जानकारी को राज्य कांग्रेस को उपलब्ध कराने में असहयोग कर रही है। पिछले तीन दिनों से यह कवायद जारी है, लेकिन सही जानकारी की कमी के कारण AICC ऐसे बागी उम्मीदवारों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने में असमर्थ है।
AICC के सचिव आलोक शर्मा और रवींद्र दलवी इन दिनों पंजाब में नागरिक चुनावों की निगरानी के लिए मौजूद हैं। उनके अनुसार, वे चुनावों के दौरान पार्टी के खिलाफ बगावत करने वाले उम्मीदवारों की जानकारी जुटा रहे हैं। हालांकि, जिला इकाइयां इसमें सहयोग नहीं कर रही हैं।
बागियों के खिलाफ कार्रवाई में बाधा
सूत्रों के अनुसार, जिला इकाइयों को डर है कि AICC द्वारा ऐसे बागी उम्मीदवारों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। राजनीतिक परिदृश्य में अक्सर यह देखा गया है कि बागी उम्मीदवार चुनाव जीत जाते हैं, जबकि पार्टी द्वारा दिए गए उम्मीदवार हार जाते हैं।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि ऐसे मामलों में “दोनों हाथों में लड्डू” जैसी स्थिति बन जाती है। यदि पार्टी का आधिकारिक उम्मीदवार जीतता है, तो यह पार्टी के लिए अच्छा है। वहीं, यदि बागी उम्मीदवार जीतता है, तो वह चुनाव के बाद पार्टी में लौट आता है।
नगर निगमों में बागियों की संख्या
पार्टी सूत्रों के अनुसार, सबसे अधिक बागी उम्मीदवार लुधियाना नगर निगम में चुनाव लड़ रहे हैं। यहां बागी उम्मीदवारों की संख्या लगभग 20 के आसपास है। वहीं, अमृतसर में लगभग 15 कांग्रेस बागी उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। जलंधर में भी स्थिति लगभग यही है।
AICC और राज्य कांग्रेस के बीच तालमेल की कमी
AICC इन बागी उम्मीदवारों के खिलाफ कार्रवाई करने की मंशा रखती है, लेकिन राज्य और जिला इकाइयों के असहयोग के कारण वह ऐसा करने में असमर्थ है। सूत्रों के अनुसार, राज्य के बड़े नेता भी नहीं चाहते कि AICC नगर निगम चुनावों में हस्तक्षेप करे, क्योंकि हर नगर निगम की स्थिति अलग होती है।
जिला इकाइयों का डर
जिला कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि पार्षद चुनावों में किसी की नाराजगी मोल लेना उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है। उनका कहना है कि यदि अब किसी बागी के खिलाफ कार्रवाई की गई, तो आगामी विधानसभा चुनावों में उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। यही कारण है कि कोई भी जिला यह जानकारी राज्य कांग्रेस को देने के लिए तैयार नहीं है कि उनके क्षेत्र में कितने बागी चुनाव लड़ रहे हैं।
पार्टी की रणनीति और राजनीतिक गणित
पार्टी के सूत्रों का मानना है कि बागियों पर कार्रवाई से पार्टी को नुकसान हो सकता है। कांग्रेस यह नहीं चाहती कि बागी उम्मीदवारों के खिलाफ कोई कदम उठाया जाए, क्योंकि इससे चुनावी समीकरण बदल सकते हैं। पार्टी के अंदरुनी सूत्रों का कहना है कि नगर निगम चुनावों में बागियों की भूमिका अहम होती है और उनके खिलाफ कार्रवाई करने से पार्टी को नुकसान हो सकता है।
पंजाब में चल रहे नगर निगम चुनाव कांग्रेस के लिए एक बड़ी परीक्षा बन गए हैं। पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती बागी उम्मीदवारों की पहचान करना और उनके खिलाफ कार्रवाई करना है। हालांकि, जिला और राज्य इकाइयों के असहयोग के कारण यह कार्य और भी जटिल हो गया है।
अब यह देखना होगा कि कांग्रेस इन चुनावों में किस रणनीति का पालन करती है और बागियों के खिलाफ कार्रवाई करने में कितनी सफल होती है। लेकिन यह साफ है कि चुनावों के बाद पार्टी को इन बागियों को लेकर किसी न किसी फैसले पर पहुंचना ही होगा।